दिल की आवाज़
दिल की आवाज़
ना जाने कब उसकी नाराज़गी दूर होगी,
ना जाने कब मैं उसके दिल में ही रहूँगा,
ना जाने कब वो मेरे दिल की बात सुनेगी,
ना जाने कब उसके होंठो पे नाम मेरा होगा ।
ना जाने कितने अरमानों को सीने में रखूँगा,
ना जाने मैं उसके बिन अब कैसे जी सकूँगा,
ये सारी बातें इस दिल को तड़पाती हैं रहती,
मेरे सीने में अब पुष्प बस तू ही तो हैं रहती,
कैसी नाराज़गी हैं तुझे अब तो तू बता दे,
मेरे दिल की बात अपने दिल से सुन बता दें,
होंठो का मेरे रस तू पीकर आज़ तो बता दें,
मैं तो आशिक हूँ, परवाना हुँ, मजनू हूँ तेरा,
ज़ीवन तुझपे अर्पित करता हूँ, तू बन जा मेरा,
ना जाने कब तू मेरे दिल को समझ पाएगी,
ज़ुबा पे ख़ुदा के बाद कब मेरा नाम तू लाएगी,
मैं तो मर मीठा हूँ अब तो तेरी ही चाह पे,
कैसे दिखा दू तुझे अब क्या चाहता हूँ तुमसे,
मेरी ज़िंदगी के हर पन्ने पर तेरा ही नाम हैं,
तू नहीं तो इस संसार में मेरा क्या काम हैं,
होंठो से छूकर तू मेरे दिल को कोई काम दे,
दड़कन में बसी तेरी आवाज़ को कोई नाम दे ,
मैं तेरा हूँ इस बात को अपने दिल से जान ले,
पता नहीं कब तक तेरी ये नाराज़गी अब होगी,
कब तक तू अपने दिल से मेरी बात न मानेगी,
होंठो को तेरे, मेरे होंठो से तू बता कब छुएगी,
मेरे दिल में तू ही हैं, जान कब मेरी बात तू मानेंगी।