दिल का सौदा, सच्चा सौदा।
दिल का सौदा, सच्चा सौदा।
आज जब भी खाली होता,
उसके चेहरा सामने होता,
वो लंबा कद,
जैसे देवदार,
पहने जीन,
और स्लीवलेस टाप,
चेहरे पे कातिलाना मुस्कुराहट,
गुलाबी होंठ,
और गुलाबी गाल,
जब खिलखिलाकर हंसती,
गडृडो के साथ,
खूब फबती।
निकलती जिधर से,
हर कोई कहता,
काश! हमें मिलती,
पुरी की पुरी,
मिस वैलंटाइन लगती।
शायरों के लिए,
एक ग़ज़ल बनती,
रोमांटिक ख्यालों की,
एक किताब लगती,
जो भी उसके करीब आता,
बिना रोमांस किए,
नहीं रह पाता।
