दोहे : 2050 की दुनिया
दोहे : 2050 की दुनिया
2050 की पहली किरण लाएगी नव उल्लास
भूखा ना कोई सोएगा मन में है विश्वास
झुग्गी झोंपड़ी नहीं रहेगी , सबके होंगे मकान
मोबाइल "गुरुकुल" से पढके होंगे सब विद्वान
मंगल ग्रह पर जायेंगे हनीमून मनाने लोग
महामारी सा फैलेगा सब जग में प्रेम रोग
उड़ने वाली कारें होंगी फोल्डिंग होंगे घर
ना ट्रैफिक की प्रॉब्लम ना चोरी का कोई डर
स्वच्छ शहर खुशहाल जिंदगी नारी का सम्मान
विश्व जगत में ऐसी होगी भारत की पहचान।
