बचपन की यादें
बचपन की यादें
बचपन के दिन थे,
कितने प्यारे, कितने सुहाने
वो लड़कपन वो हंसी के,
ठहाके मर मिटने के थे
जो वादे,
दोस्तों से वो खट्टी मीठी
नोंकझोंक,
हर पल हरदम एक दुसरे
की टांग खिंचाई का दम,
हँसती मुस्कुराती होती है,
ये बचपन के लम्हे,
जहां बारिश में भिगोने,
पर भी मुस्कुराते हम,
कागज की नाव,
बनाकर खेल ते हम,
और मेंडक के पीछे,
भागते हम,
रुठने मनाने का,
सिल सिला युही
चलता रहता,
हर पल हर लम्हा
यूँ ही जीतें हम।
