दिल एक समुन्दर
दिल एक समुन्दर
हाँ ये दिल एक समुन्दर ही तो है,
जिसके ना ही विस्तार का पता ना ही गहराई का किसी को अनुमान।
जितना डूबो इसमें उतना घनिष्ठ हो जाता है रास्ता ,
परिचय होता अन्धकार से कभी तो कभी मिलता श्वेत उजाला।
राहत मिल जाती इस नादान दिल को पाकर ज़रा सी खुशियां,
उस खुशियों के संसार और मुट्ठी भर प्रेम के लिए सदा लगाता रहता अर्ज़ियाँ।
कोई ना जाने किधर इसको है जाना,
जो होता रास्ता वही प्रतीत होता जैसे कोई किनारा।
जिनके सपने संजोता रहता पूरी श्रद्धा से ,
वही मंज़िलें मिल जाए अगर तो लगतीं निरर्थक,
जिनको चाहा था कभी जी जान और पूरे अरमान से।
जैसे समुन्दर में धूमिल हो के खो जाती है मछली,
वैसे ही इस दिल की इच्छाओं में जीवन पर्यन्त बहता रहता है आदमी।
नाज़ करता है दिमाग पर, पर बहता रहता इसके इशारों पर हमेशा ,
विडंबना है ये कैसी की फिर भी दिल बच्चा और दिमाग बलवान माना गया सदा ?
हाँ ये दिल एक समुन्दर ही तो है,
अपने अस्तित्व की विशालता अपने भीतर ही छुपाये हुए है।.....