STORYMIRROR

Amit Kumar

Inspirational

3  

Amit Kumar

Inspirational

चींटी जब दाना ले, दीवार पे....

चींटी जब दाना ले, दीवार पे....

1 min
871

हर बार फिसलती है, सौ बार फिसलती है।

चींटी जब दाना ले दीवार पे चढ़ती है।

हौसला कम नहीं होता, इक बार भी उसका।

दोबारा फिर से चलती है, सौ बार फिसलती है।


हर बार प्रयासों से, वो सीख लेती है।

क्या भूल हुई उससे, वो सीख लेती है।

और इक बार चढ़ूँ , यही इक सोच आता है।

इसीलिए शायद वो जीत भी लेती है।


रास्ते में रुकावट हो तो उसको पार करती है।

सौ गुना वजन लेकर वो घर को चलती है।

न कदम डिगा सकता कोई भी मुश्किल हो!

हर मुश्किल से लड़ने वो घर से निकलती है।


दुश्मन हो, मुश्किल हो, हम जीत ही लेंगे।

गर साहस है हममें तो जीत ही लेंगे।

हमारी हार हो या जीत हो ये डर नहीं हमको

हम तब तक लड़ेंगे, न जब तक जीत हम लेंगे।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational