हम जीत गए
हम जीत गए
एक रात की बात है
खेल में जीत मनाता मुल्क
जश्न की गूंज के साथ ही
गोलियों की गड़गड़ाहट से भड़क उठा
देखते ही देखते सपनों का शहर
बुरे ख़्वाब का मंजर बन गया
गोलियाँ यहाँ से भी चली
और वहाँ से भी
हमने अपने दुश्मन पर
वार किया और उन्होंने अपने दुश्मन पर
खून हमारा भी बहा और खून उनका भी
बहुत बहादुरों को हमने गँवाया
और कुछ जाने उनने भी गवायी
जद्दोजहद के लम्बे संघर्ष के बाद
आख़िर हम जीत गए ! मगर
जीत का जश्न हमने मनाया,
खून की होली से
कई उजड़ी माँगो से
बहादुरों की अमर गाथाओं से !
तीन दिन के संग्राम के बाद
फिर चल पड़ा यह शहर
अपने काम धंधों पर
सलाम किया सपनों के नगरी के
जज़्बे को और गर्व से कहा
मेरा भारत महान !
