सवाल मन मे उठता है
सवाल मन मे उठता है
एक सवाल सा मन मे उठता है
तन्हा तन्हा हूँ मै ना ही कोई
आगे है ना ही कोई पीछे
ना ही कोई दांए है ना ही कोई बांए
गर हम मर गए तो क्या किसी को
होगी इसकी खबर या नहींं
घर के अंदर तन्हा ही
ना रह जाए जिस्म हमारा
क्या कोई क्रिया कर्म भी करेगा या नहीं
फ़र्ज़ अपने हमने तो हर निभा दिए
क्या कोई मेरा श्राद्ध भी करेगा कि नहीं
ये सवाल मन मे बार बार उठता है
कोई मेरे नाम से दान पुण्य करेगा कि नहीं
कोई हमको मरने के बाद
याद करेगा कि नहीं
फिर दिल को खुद ही दिलासा दे लेते है
कि मरने के बाद कौन देखने आता है
ये सब तो सुनी सुनाई बातें हैं
इनके बारे में सोच कर क्यों वक्त बर्बाद करना।
जीते जी ही खिला दो किसी
जरूरतमंद को किसी गरीब को खाना
और सोच लो कि अपना श्राद्ध कर लिया हमने
और दुआओं से दामन अपना भर लो।
