Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

कीर्ति जायसवाल

Abstract

5.0  

कीर्ति जायसवाल

Abstract

दीपक की व्यथा

दीपक की व्यथा

1 min
301


'दीया' नाम क्यों दिया

जो कहता "तूने है क्या दिया ?"

हाँ! 'जलता' तब रोशन करता 

पर जग से न जलता।


हाँ! कमी कहो कि अंधकार से 

करूँ सदा परहेज़;

हाँ! कमी कहो "मेरी लौ में 

जीर्ण प्राण गंवाते हैं।"


हाँ! कमी कहो "बिन प्रेम तेल 

अस्तित्व गवां जाता"

वायु में अस्तित्व बनाए 

जलता रहता हूँ।


हाँ ! कमी कहो कि तीव्र वायु में 

प्राण बचा न पाता;

हाँ ! कमी कहो "स्वतल नीचे न 

रोशन कर पाता।"


इतनी कमी तो मेरा क्यों

उपयोग करते हो ?

पूजा में ट्यूबलाइट जला लो

घी की बाती उसे लगा दो

दीवाली में भी तो ट्यूबलाइट का 

इस्तेमाल करते हो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract