Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

कीर्ति जायसवाल

Abstract

5.0  

कीर्ति जायसवाल

Abstract

फ़क़ीर की जुबानी

फ़क़ीर की जुबानी

2 mins
384


जो भी कह रहा हूँ

दिल पर है मेरी कायनात                 

मेरा एक मक़सद है।                    


सुबह से घूमा जो सारा गाँव;

ख़ुदा से जो कुछ भी मिला है;

दौलत भी ख़ुदा की 


ईमान भी ख़ुदा का है;

तो मैं आप से क्या माँगू?


यदि आप सुन सकते हो 

तो मैं कहना चाहता हूँ।

क्या दिल से कह रहे हो?

(कि तुम मेरी बात को सुनोगे)


इस कान से सुनना तो 

उस कान उड़ा नहीं देना;

फ़क़ीर की जुबान को 

लकीर बना लेना;

पैरों की धूल समझकर

फेंक नहीं देना;

शैतान, दुष्ट तू सामने बैठा है       

गफ़लत में डाल देता है;                      

और जो 'इंसान' है 

ख़ुदा की बात को मान कर 

'इंसानियत' को जानता है;       

तो 'ऱहमान' भी है; 'सत्तार' भी है;

'ग़फ़्फ़ार' भी है वहीं; 'मालिक' भी है वहीं;

और 'मुख़्तार' भी है वहीं;        

तू उसी के शान से सब कुछ है;

उसी के शान को मत बदलो;


यह मत कहो कि 'यह मेरी है'

यह मत कहो कि 'यह झोपड़ी मेरी है'

यह सब कुछ उसी का है;


कुछ मेरी इजाजत है; कह दूँ?                 

इंशा अल्लाह! शाम के वक्त 

मेरी जुबान खाली तो नहीं जाएगी?


क्या सोना! क्या चाँदी!

क्या धन! क्या दौलत!

क्या लाख! क्या दो लाख!

क्या दस हजार! क्या पाँच हजार!

क्या जगह! क्या हजार!

क्या दो हजार! क्या करोड़!

क्या जमीन! कुटिया बनाने के लिए

क्या भैंस! क्या गोरू!                       

क्या बाल! क्या बच्चा!

अगर वो आपकी 'इज़्ज़त' है 

तो मेरा भी कुछ 'ईमान' है।


झट से मर जाऊँगा; ईमान न जाने दूँगा;

सर कलम हो जाएगा पर शान न जाने दूँगा।

बस दो मिनट तो आ कर

यह मोहब्बत है; यह तो रोज-रोज

इस तरह कुछ मिलता रहता है।

फ़क़ीर की है ज़िन्दगी...।


हो गयी है भेंट अचानक;

देने आया हूँ कि आप से 

कुछ लेने आया हूँ?

"इस झोली से मैं आपको 

बस कुछ देने आया हूँ।”


सुन सकते हो तो जरा 

दो कदम बढ़ाना;

अल्लाह की यह दौलत है;

मौला का लाख-लाख शुक्र है;                  

तेरी तरक्की करना न्यौता फ़रमाए;              

और दोगुनी दौलत वाली 

नौकरी लग जाए।


अल-हज़र, वाह रे ख्वाज़ा!               

तेरा बुलंद दरवाजा;

तेरी शान है मौला;

इंशा अल्लाह! इंशा अल्लाह! इंशा अल्लाह!


(शब्दार्थ: कायनात=सृष्टि, मक़सद=उद्देश्य, शैतान-दुष्ट=मोह-माया, ग़फ़लत=बेसुधी, ऱहमान=ख़ुदा/बहुत दया करने वाला, सत्तार=ख़ुदा/दोषों आदि पर पर्दा डालने वाला, ग़फ़्फ़ार=ख़ुदा/क्षमा करने वाला, मुख़्तार=प्रतिनिधि, इजाजत=आज्ञा, गोरू=जानवर, मौला=ख़ुदा, फ़रमाए=कहे, अल-हज़र=ख़ुदा की पनाह, ख्वाज़ा=मालिक)


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract