Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

कीर्ति जायसवाल

Others

5.0  

कीर्ति जायसवाल

Others

मुसाफ़िर ज़िन्दगी का

मुसाफ़िर ज़िन्दगी का

1 min
190


दु:ख दमन को भ्रमण करूँ दुनिया       

अरे ! सृष्टि में यह दर-दर है। 

चलता हूँ बनकर मुसाफ़िर 

कण्टकों से मार्ग भर।            


कण्टकों से सीखा जीना

दर्द दे जीना सिखाया।

जीकर मरता; मर कर जीता

जीता ही या मरता ही !


मदिरापान कर मर जाऊँ मैं;

मदिरा पीकर जी उठता।

मदिरा का मैं पान करुँ या 

पान करे मदिरा मेरा?

कंगाल करे मदिरा मुझको या 

मदिरालय कंगाल करूँ मैं ?


तीव्र गति यह चलती दुनिया 

या स्वयं मैं पंगु हूँ ?                

दुनिया के 'तम' में जीता हूँ       

या तम मुझमें ही जीता ?

भ्रांत दुनिया या पथिक ही 

भ्रांत हूं मैं इस जग में?


चले बयार मन्थर-मन्थर      

विष लिए या सौरभ लिए ?

कवि हृदय कहता है 'सौरभ'

मैं तो कहता विष धरे।


रूप जो विकराल हों 

वृक्ष इसके शत्रु हों;

वृक्ष को ऐसे झकझोरे 

जब तक अंतिम श्वांस न ले।


ईश्वर तेरा दास हूँ मैं 

हुक्म तू दे मैं जान भी दूँ।

दानव हों या संन्यासी 

तुझको ही पूजे दुनिया।


जीवन जीता दर्द में दुनिया

मर जाऊंगा तो हँस देगी।


Rate this content
Log in