मेरा संघर्ष
मेरा संघर्ष
जन को विक्षत कर
पंथ बढ़ूँ न।
जग को विकल कर
लक्ष्य चलूँ न।
मेरा संघर्ष ही मुझको
कभी राजा बनाएगा।
मेरा संघर्ष ही मुझको
मेरी मंज़िल दिलाएगा।
नहीं विश्वास लफ़्ज़ों पर,
मेरी हर सांस को सुन लो।
नहीं विश्वास सांसों पर,
मेरी आँखों को ही पढ़ लो।
यह धड़कन भी सुनो,
मेरा सदा परिचय बताती है।
मेरी कविता भी तो हर पल
मेरा ही गीत गाती है।
लकीरें हाथ की मेरी
>नहीं क़िस्मत को लिखती है।
मेरा संघर्ष
हाथों की लकीरों को बनता है।
मेरी क़िस्मत को
हाथों की लकीरें
क्या ही लिखेंगी?
मेरा संघर्ष ही
मुझको मेरी
मंज़िल दिलाएगा।
मेरा साहस सुनो,
मुझको मेरी मंज़िल दिलाएगा।
मेरा साहस सुनो,
मेरा सदा परिचय बताएगा।
नहीं यह हो नहीं सकता,
मुझे जग भूल ही जाए।
उसके धड़कन की चाभी
मैं अपने पर्स में रखती हूँ।