कीर्ति जायसवाल
Abstract
कोरोना ने क़हर मचाया
हम भी उपाय कुछ करते हैं।
आसमान के शॉवर से
स्नान धूप से कर लेते हैं।
हिन्दी की बात
मेरा संघर्ष
बोलो, सीताराम...
ग़म की नदियाँ
बोलती कलम
अग़र वह एक बार...
मछली आज उड़ रह...
कोरोना ने क़हर...
कोरोना का कहर
जीता जग में विजयी होकर क्षण क्षण में हर्ष करे मानव। जीता जग में विजयी होकर क्षण क्षण में हर्ष करे मानव।
तुम्हारा होने के लिये भी तुम्हारा एक नाम होना चाहिये। तुम्हारा होने के लिये भी तुम्हारा एक नाम होना चाहिये।
कल की छोड़ चिंता जीभर जियो आज कल के चक्कर में न पल पल मौत मरो। कल की छोड़ चिंता जीभर जियो आज कल के चक्कर में न पल पल मौत मरो।
अनकहे रिश्ते ये फिर हुए हरे, पाकर अपने हिस्से का धूप-पानी। अनकहे रिश्ते ये फिर हुए हरे, पाकर अपने हिस्से का धूप-पानी।
आकर बार -बार मस्तिष्क पर प्रहार करती है ! आकर बार -बार मस्तिष्क पर प्रहार करती है !
कभी खुशी कभी गम जिंदगी में परेशानी होती है। कभी खुशी कभी गम जिंदगी में परेशानी होती है।
भावों से भरती, हमारे जीवन की बन कर के आशा, आ कर बोलती , पापा में आ गयी ! भावों से भरती, हमारे जीवन की बन कर के आशा, आ कर बोलती , पापा में...
जिनके बनने से ही, बनते हैं नसीब। जिनके बनने से ही, बनते हैं नसीब।
है तय मिलना एक दिन, होले से दिल अलविदा कह गया। है तय मिलना एक दिन, होले से दिल अलविदा कह गया।
जिनका कोई नाम नहीं होता दिलों में जन्मों जन्मों सा रिश्ता बना जाते हैं। जिनका कोई नाम नहीं होता दिलों में जन्मों जन्मों सा रिश्ता बना जाते हैं।
देखना है जिंदगी कितना कहर ढाती है। देखना है जिंदगी कितना कहर ढाती है।
इस कदर की पत्र लिख कर भी दास्तां अपनी अधूरी बुनते रहे। इस कदर की पत्र लिख कर भी दास्तां अपनी अधूरी बुनते रहे।
एक बार ये हो जाए कायम, तो फिर दुनिया में कुछ भी नहीं असंभव। एक बार ये हो जाए कायम, तो फिर दुनिया में कुछ भी नहीं असंभव।
मैं सोचता हूँ कितना साम्य है जीवन और नदी में ! मैं सोचता हूँ कितना साम्य है जीवन और नदी में !
मेरा था कत्ल ना जाने हुआ तुझसे ऐ कातिल। मेरा था कत्ल ना जाने हुआ तुझसे ऐ कातिल।
अनकहा रिश्ता है ये बिल्कुल मेरे तुम्हारे प्रेम सा। अनकहा रिश्ता है ये बिल्कुल मेरे तुम्हारे प्रेम सा।
सभी समस्याएं हल होंगी, असफलता का कोई नाम नहीं। सभी समस्याएं हल होंगी, असफलता का कोई नाम नहीं।
मैंने बधाई वाला खत भेजा जरूर था। मैंने बधाई वाला खत भेजा जरूर था।
पाती हमें उदास तो वो भी हो जाती है व्याकुल हमें हंसाने को वो मन का चैन सकल खोती है पाती हमें उदास तो वो भी हो जाती है व्याकुल हमें हंसाने को वो मन का चैन...
में थम सा गया था चौराहे के चबूतरे की तरह कोई चला गया बैठ के, कोई ठोकर मारता रहा में थम सा गया था चौराहे के चबूतरे की तरह कोई चला गया बैठ के, कोई ठोकर मारता ...