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कीर्ति जायसवाल

Abstract

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कीर्ति जायसवाल

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ग़म की नदियाँ

ग़म की नदियाँ

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मेरी आँखों से आँसू की ये नदियाँ खूब बहती हैं।

मेरे ग़म की कहानी को ये नदियाँ खूब कहती हैं।


समुंदर सूख सकता है, मेरे ग़म के झरोखों से,

मगर पत्थर की है दुनिया, मैं रोती हूँ तो हँसती है।


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