धुम्रपान
धुम्रपान
धुम्रपान में सब धुआं
धुआं धुआं हो जाएगा
आनंद दुख में शोक कुल में
वक्त से ढल जाएगा
क्या सुकून है कस में इसके
काफ़ी नशे बाकी भी हैं
प्यार कर कुछ नाम कर
बाकी ज़फ़े साकी भी हैं
अफ़ीम की ये लत बुरी
इस लत से क्या हल पाएगा
व्याकुल ही करके ले विदा
तू अग्नि में जल जाएगा
धुम्रपान में सब खत्म
धुआं धुआं हो जाएगा
केवल रूदन की आढ होगी
खुशियो को छल जाएगा
क्या जुनून है वश में इसके
गम है कुछ तो बात कर
दिल में क्या कोई खटक है
खुल के तो इज़हार कर
संगती केवल वजह है
तो वाकई पछताएगा
इस सुरूर में और गुरूर में
मरता ही चला जाएगा
धुम्रपान में सब खत्म
धुआं धुआं हो जाएगा
शायद दोबारा ज़िन्दगी में
तेरा कल ना आएगा
धुम्रपान में सब धुआं
धुआं धुआं हो जाएगा।
