STORYMIRROR

Ram Chandar Azad

Tragedy Inspirational

4.5  

Ram Chandar Azad

Tragedy Inspirational

धरती सेवक

धरती सेवक

1 min
333


वह किसान जो जूझ रहा है

दिल्ली की सीमाओं पर

क्यों उसको विश्वास नहीं है

देश के ही नेताओं पर।।


वैसे तो वह कई बार,

धोखा खाता ही आया है।

बस उसकी आशाओं ने ही,

उसका साथ निभाया है।।


हाड़-तोड़ मेहनत करके,

जो कभी नहीं घबराया है।

आज वही बीवी-बच्चों संग,

क्यों सड़कों पर आया है?


शायद उसके श्रम की पूंजी,

देख कोई ललचाया है।

उसे बचाने के खातिर ही,

घर-बार छोड़कर आया है।।


खालिस्तानी, आतं

की,

कह कोई कोई बुलाते हैं।

देश विरोधी कहने में कुछ,

तनिक नहीं सकुचाते हैं।।


अश्रु-गैस, लाठी, डंडों से,

तनिक नहीं घबराते हो।

धन्य, धन्य हे! धरती सेवक,

कैसे तुम सह जाते हो?


सर्दी, गर्मी, वर्षा से तो, 

जनम जनम का नाता है।

शायद इसीलिए तुमको,

सब कुछ सह जाना आता है।।


देख तुम्हारी सहनशीलता, 

गर्वित नभ भी झुक जाएगा।

निश्चय ही संघर्ष देख खुद,

मंजिल चलकर आएगा।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy