धरा
धरा
धरा पर यह कैसा अंधकार है
चारों ओर मचा हाहाकार है
मन में भय व्याप्त है
जाने धरा पर कौन सा श्राप है
कैसा यह फल है मानव की करनी का
बिखर रहा है जीवन प्रत्येक कण का
त्राहि त्राहि कर रही है मानवजाति
रक्षा करो हे पालनहार
धरा पर यह कैसा अंधकार है
चारों ओर मचा हाहाकार है।
