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धोखे में प्यार

धोखे में प्यार

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बात बहुत पुरानी है मैं बहुत उलझन में हूँ

सोच सोच कर आखिर क्या था

वह? वह तुम्हारा छुप छुप कर देखना

और पकड़े जाने पर मुँह फिरा लेना। 


बस स्टाप पर मुझसे पहले ही पहुँच जाना

और सारे रास्ते निगरानी रखना।

लायब्रेरी में मेरी पसंद की किताब 

खोजना और यह कहना कि क्या

आप यही खोज रही थीं ?

कुछ न कहकर भी सबकुछ कहना।


बहुत रहस्यमय लगता था तुम्हारा व्यवहार

और फिर भैया से दोस्ती

गांठ कर घर तक आ जाना।

मेरे हाथ की सादी सी चाय की बहुत तारीफ करना।

मुझसे किसी प्रतिक्रिया की आशा न करना।


हर बार लगता मुझे कोई 

गलतफहमी तो नहीं।

पर तु्म्हारा अगला कदम उसे गलत

साबित कर देता। धीरे धीरे मैंभी

सपने देखने लगी। तुम मेरी दुनिया

के केन्द्र बिन्दु बन गए। मेरा बावरा

मन आने वाले तूफान को भांप ही

नहीं पाया।


 सपनों का संसार बसता उसके पहले

ही उजड़ गया। एक दिन तुम आए और

अपनी शादी का कार्ड पकड़ा दिया

यह कह कर कि किसी दूसरे

शहर में तुम्हारी नौकरी लग गई है,


शादी के बाद अब तुम वहीं रहोगे

तुम्हारे निर्वीकार चेहरे का दंश मैं

आज तक नहीं भूली। पता नहीं

वह प्यार में धोखा था या धोखे में प्यार।


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