"धन्य हुआ तुझको पाकर"
"धन्य हुआ तुझको पाकर"
धन्य हुआ, अर्धांगिनी, तुझे पाकर
तू मेरी इस गूंगी जिंदगी का स्वर
जब-जब भी में उदास हुआ, नर
तूने दिया, मुझे प्रसन्नता का स्वर
मैं ऋणी रहूंगा, तेरा जिंदगी भर
प्यार जो दिया, मुझे दरिया भर
जिंदगी का संकट, लिया यूं हर
जूं तूने परी होने का पाया, हुनर
अंधेरा मिटता, सूर्योदय होने पर
तू मिटाती, अंधेरा, किरण बनकर
धन्य हुआ, अर्धांगिनी, तुझे पाकर
तेरे आने से रोशन हुआ, मेरा घर
मैं पहुंच नहीं पाता, कभी शिखर
तेरा साथ न होता, प्रियतमा गर
जिस दिन तू जाये, जग छोड़कर
खुदा, मुझे भी बुला ले उस, वक्त पर
जीना नहीं, अर्धांगिनी तेरे बगैर
दीपक, रोशनी न देता बाती बगैर
हर जन्म में तू ही मेरी पत्नी बनना
तू है, में हूं, तू नही तो, में कोरा पत्थर
धन्य हुआ, अर्धांगिनी तुझे पाकर
तू मेरी शक्ति, तेरे बिना में जर्जर
तेरे आने से जीवन गया, यूं सुधर
किरणों के आने से जूं उजला घर