"धनतेरस"
"धनतेरस"
समुद्रमंथन से ले आये, अमृत कलश।
वो शुभ दिन ही कहलाया, धनतेरस।।
भगवान धन्वंतरि ने, ये किया सहर्ष।
वो आरोग्य के देव कहलाये, उत्कर्ष।।
जो करे भगवान धन्वंतरि की पूजा।
वो पाता अच्छे स्वास्थ्य का कलपुर्जा।।
आज सा खरीदारी का मुहूर्त न दूजा।
सब ही खरीदते कुछ न कुछ, मनुजा।।
आज गांवों में प्रातः जल्दी जाते है।
स्थान विशेष से पीली मिट्टी लाते है।।
ओर उससे घर-आंगन सुंदर बनाते है।
आज भी गांवों में यह परंपरा निभाते है।।
धनतेरस कहती, स्वास्थ्य सर्वोत्तम धन।
बिना स्वस्थ शरीर लगता न कहीं, मन।।
यह धन तो साखी, यहीं धरा रह जायेगा।
कर्म कर, लक्ष्य तक पहुंचायेगा, सिर्फ तन।।