दहेज ने लील ली, बहिन हमारी
दहेज ने लील ली, बहिन हमारी
दहेज ने लील ली, एक ओर बहिन हमारी
शादी के 12 दिन बाद गई, अंजली मारी
ऐसे शैतानों को खुलेआम सजा दो, भारी
जिनको बिल्कुल भी नही है, कद्र, एक नारी
शादी बाद पिता भी खुला रखे, दरवाजा
आज लोग मनुष्य कम, भेड़िये है, ज्यादा
शादी बाद बेटियो से बात करना रखे, जारी
सब ठीक हो तो व्यर्थ की न लगाएं, चिंगारी
फिर भी बेटी की कुशलक्षेम पूंछना रखे जारी
कहीं दहेज दैत्यों में न उलझी हो, बेटी हमारी
आपको जरा भी संदेह हो, सूचित करे खाकी
ओर निभाये अपने पिता होने की जिम्म्मेदारी
एकपल की देरी, खो दोगे आप बेटी, प्यारी
क्योंकि आज इंसानों में न रही है, वफादारी
जिस थाली में खाते, उसीमे छेद करते, भारी
बरसों से चली आई दहेज की भयंकर, बीमारी
आजकल बहुत घूम रहे है, सामाजिक भिखारी
जिन्होंने दहेज को बना रखा अपना, गिरधारी
इनके कारण बेटियों की कमी हुई है, भारी
यही चला, कहां से लाओगे शादी हेतु नारी
छोड़ो नारी भोग वस्तु मानना, समाज विकारी
नारी नही तो कैसे चलेगी, यह दुनिया सारी
बेटी को शिक्षा साथ, सिखाये चलाना तलवारी
जगह-2 घूम रहे, मनुष्य रूप धरे भेड़िये शिकारी
दहेज से न हो किसी बहिन की मृत्यु, हमारी
इस पर बनाये कानून हम बहुत ज्यादा भारी
दहेजलोभियों को तुरंत सजा की करे, तैयारी
साथ पिता बेटी को न कहे पराया धन, लाचारी
हमारी सावधानी से मिटेगी दहेज, महामारी
बेटी की शादी की, न की बेच दी, बेटी हमारी
बेटी फूल सी कोमल नही, बनाये अग्नि चिंगारी
जो वक्त-2 पर मिटाती रहे, दहेजवाली, किलकारी।
