धड़कन
धड़कन
चुप्पी सी छा गई है
मन के आंगन में
धड़कता है दिल बस
तेरे ही लिये!
एक बार
तू भी आकर कह दे
झूठा-सच्चा सा ही
धड़कता है दिल
क्या !तुम्हारा भी
मेरे लिये!!
दिल के न धड़कने का
सवाल उठता ही नही अब
रोज सुन रहा हूँ
बेबसी के आलम में
घुटती हुई सांसों का क्रन्दन
उमड़ आता है आंखों में समन्दर
माँ के कदमों में
है अगर जन्नत
तो प्रेयसी तुम ही हो मेरा
परम वंदन !!

