देश के दुश्मन
देश के दुश्मन
देश के दुश्मन बाहर नहीं है
घर में घुस कर बैठे हैं।
कोई भी अच्छा काम करो तो
उखड़े से यह रहते हैं ।
जागरूकता की बात करो तो
दंगे यह फैलाते हैं।
गरीब को कपड़े पहनाओ
तो नंगे यह हो जाते हैं।
बड़ी-बड़ी बातें कर कर
हमको यह फुसलाते हैं।
किसान की मदद करो तो
डंडे यह चलाते हैं।
बातें कुछ अच्छी करने पर
अराजकता फैलाते हैं।
महिलाओं को बाहर देखकर
हाथ यह लगाते हैं।
किसी को गिरता देखे अगर तो
ठहाके खूब लगाते हैं।
अपने घर को साफ रख कर
कूड़ा बाहर फैलाते हैं।
इंसानियत की बात करो तो
पीछे यह छुप जाते हैं।
पहन मुखौटा अच्छाई का
शरीफ खुद को बताते हैं।
अपने बच्चों को प्यार देकर
गरीब से भीख मंगवाते हैं
फायदा उठाकर मजबूरी का
शोषण करते जाते हैं।
दूसरों के कंधों पर
बंदूक रख ये चलाते हैं
ऐसे लोग ही दुनिया को
खोखला बनाते हैं।
देश के दुश्मन बाहर नहीं है
घर में घुस कर बैठे हैं
कोई भी अच्छा काम करो तो
उखड़े से यह रहते हैं।
आओ मिलकर करें यह प्रण
सबक इन्हें सिखलाएंगे
सच्चाई का पाठ इनको
अब हम पढ़ाएंगे।