देख कर तुम्हें
देख कर तुम्हें
आज फिर से मुस्कुराहटें
छायी है इन होठों पर
देखकर तुम्हें,
आज फिर से सुकून
मिला है मन में।
देखकर तुम्हे,
मौसम ने भी समां बाँधा है,
बादल भी जम कर बरसे है
देखकर तुम्हें,
खुशियों से भरा है हर इक पल,
मन मयूर भी नाच उठा है।
देखकर तुम्हें,
बस थम जाए ये पल यहीं,
फिर से जी लूँ मैं अपनी
ज़िंदगी देखकर तुम्हें।

