देख कोई ख़्वाब गहरा
देख कोई ख़्वाब गहरा
चाँद को तकिया बना के
लबों पे मुस्कान ला के
आँखों में नींदें सजा के
आसमाँ को छत बना के
देख कोई ख़्वाब गहरा
देख कोई ख़्वाब गहरा
चुन लो तारे ख़्वाब सारे
टिमटिमाते इश्क़ के मारे
चहकती बारिश गाये सारे
तू भी थोड़ा बहक ले प्यारे
देख कोई ख़्वाब गहरा
देख कोई ख़्वाब गहरा
मंज़िल बेज़ुबान है अभी
रास्ते गुमनाम ही सही
दिल में एक टीस जरूर है कहीं
पर मिल के तुमसे रोयेंगे नहीं
देख कोई ख़्वाब गहरा
देख कोई ख़्वाब गहरा