ड्रग्स और आतंकवाद
ड्रग्स और आतंकवाद
आज पांच करोड़ नशे की गिरफ्त में,
देश के इतने ही परिवार हो रहे हैं बर्बाद।
ड्रग्स पोषित करते मानवता रिपु को,
जग का त्रास बना है आतंकवाद।
ड्रग के आदी पांच करोड़ युवाओं से
जो भी निम्न या मध्यम वर्ग से आते हैं।
लत लगने पर काम कुछ करते नहीं,
असामाजिक गतिविधियों में लग जाते हैं।
चोरी छीना झपटी करके ड्रग क्रय करते,
जो देता आतंकवाद को पानी और खाद।
आज पांच करोड़ नशे की गिरफ्त में,
देश के इतने ही परिवार हो रहे हैं बर्बाद।
ड्रग्स पोषित करते मानवता रिपु को,
जग का त्रास बना है आतंकवाद।
नशे में जो पहले से हैं फंसे हुए ,
वे निज संख्या कुछ और बढ़ाते हैं।
अपने जैसे पांच-सात को लगा के लत ,
एक साल में समस्या विकराल बनाते हैं।
एक व्यक्ति ही नहीं फंसता है संकट में,
पूरा परिवार हो जाता है बिल्कुल बर्बाद।
आज पांच करोड़ नशे की गिरफ्त में,
देश के इतने ही परिवार हो रहे हैं बर्बाद।
ड्रग्स पोषित करते मानवता रिपु को,
जग का त्रास बना है आतंकवाद।
आज जग है व्यथित आतंकवाद से,
ड्रग ही है आतंकवादियों का व्यापार।
आतंकवाद का समूल नाश करना है तो,
ड्रग्स लेने वालों का हम करें उद्धार।
मांग रहे न ड्रग की कुछ भी समाज में,
ड्रग व्यापारी हो जाएं बिल्कुल बर्बाद।
आज पांच करोड़ नशे की गिरफ्त में,
देश के इतने ही परिवार हो रहे हैं बर्बाद।
ड्रग्स पोषित करते मानवता रिपु को,
जग का त्रास बना है आतंकवाद।