डर से डरना छोड़ो ना
डर से डरना छोड़ो ना
डर से तुम डरो ना
डर को कुछ तो कम करो ना
रहो सीमा में पर कुछ नया सीखो ना
बीत जाएगा वक्त
अच्छे वक्त की अच्छी कल्पनाएं करो ना
बाहर जाना मना है
पर अंदर ना हँसना मना है
कुछ पुराने कुछ नए किस्से गढ़ो ना
कल तुम ही किस्सा बन जाओ
ऐसा कुछ तो करो ना
डर में अब तुम रहो ना
उदासी को अब और सहो ना
मन नहीं लगता घर में
अब बार-बार कहना छोड़ो ना
माना है जिसको भगवान
उस पर कुछ तो भरोसा करो ना
छोड़ो बेकार की बातें
अब थोड़ा तो हंसो ना।