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Neetu Tyagi

Others

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Neetu Tyagi

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अकेली मां

अकेली मां

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माँएं अक्सर थक जाती हैं

सीढ़ियां चढ़ते

और उतरते

 जमीन पर बैठते

और उठते

सुई में धागा डालते

 और दाल चावल बीनते

 नहीं थकती तो बस उनकी उम्मीदें

 बेटों के राजा बेटे बनने

 बेटियों के मायके आने

नाती पोतों को दुलार ने

चहकते बच्चों की खिलखिलाहटो में

फिर से जी लेने की ख्वाहिशें

 मां नहीं थकती थीं तब

 जब पिता थे जीवित

 भागती रहती थी हर पल

 कभी देने दवाई

 खाने के बाद मिठाई

 कभी ढूंढने चश्मा

 तो कभी छड़ी

 कभी अलमारी की चाबियां 

कभी सहेजती उनकी घड़ियां

मां कभी नहीं थकती

 अगर ना होती वो अकेली।


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