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Reena Devi

Tragedy

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Reena Devi

Tragedy

डर लगता है

डर लगता है

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बमुश्किल भरा मैंने दिल की दरारों को

फिर से ये टूट न जाए डर लगता है।


तेरी मोहब्बत की आदत हो गई मुझको

कहीं तू रूठ न जाए डर लगता है।


अकेलेपन ने सताया अब तलक मुझको

अकेलापन लौट न आए डर लगता है।


संजोए है हंसी सपने तुम्हारे साथ जीने के

कहीं ये टूट ना जायें डर लगता है।



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