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Reena Devi

Abstract

5.0  

Reena Devi

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तिरंगा पूछ रहा

तिरंगा पूछ रहा

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हिंद वासी सोचो तनिक,

क्यों हिंद यूं बेहाल है।

तिरंगा पूछ रहा तुमसे,

आज ये सवाल है।


देखकर हालात देश के,

आंसू मेरे निकल रहे।

अपने अपनों को लूट रहे,

विदेशी देख मचल रहे।।


खो रहे लड़ आपस में,

स्वाभिमान अपना आज क्यों।

सन्मार्ग तज चल पड़े,

कुपथ पर तुम आज क्यों।।


विलोक्य आज गवाह बना

इस बात का इतिहास भी।

जब-जब तजा साथ अपनों ने,

हुआ संवेदना ह्रास भी।।


विपक्ष में अपना खड़ा,

लेकर हाथ तलवार जब।

तब तब समूल वंश मिटा,

दिया विदेशियों का साथ जब।।


उठो !उठो !इस कुयश की,

कालिमा धो डालो तुम।

साथ दो अब अपनों का,

और देश को संभालो तुम।।


देश पुकार रहा तुम्हें,

निज जीवन उस पे वार दो।

लेकर तिरंगा हाथ में,

इतिहास को संवार दो।।


रखोगे पग जिस दिशा में,

एक साथ जब मिल प्यारे।

देखकर एकता तुम्हारी,

कांप उठेंगे देश सारे।।


न होगा धरा पर कोई,

जो तुमको जीत पाएगा।

सुनोगे हर तरफ फिर से तुम,

गौरव फिर गाया जाएगा।।


कर भरोसा निज ग्रंथों पर,

उनको यदि समझ पाओगे।

है संभव की फिर से तुम,

विश्व गुरु कहलाओगे।।


तज पाश्चात्य अनुकरण ,

संस्कार अपने अपना लो।

पूर्वजों के ज्ञान को तुम,

मार्गदर्शक बना लो।।


किस बात की आजादी ये,

हंस गाकर जिसे मना रहे।

समझो पहले अपनों को,

फिर प्रिय गणतंत्र मना लो

मन फिर गणतंत्र मना लो।


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