डियर डायरी 03/04/2020
डियर डायरी 03/04/2020
नवरात्रि समाप्त
दसवाँ दिन कर्फ़्यू
आज का अनुभव
लिखने का समय नहीं
बज गए हैं रात के 12.
आदतन लिखने बैठ गई हूँ
पर काम कुछ ऐसे
थक ज्यादा गई हूँ।
आज दिन में चलाया
सफाई अभियान ।
फर्स्ट फलौर पर फ्लैट
नीचे तक की कर आई
यहाँ वहाँ लगे जाले
सब कुछ झाड़ आई
अपने काम पर हर्षाई।
ओवर वर्क हो गई टायर्ड
दोपहर के खाने के बाद
सो गई बड़ी देर चादर तान
सबकी शराफत रखा मान
शाम की चाय से टूटी थकान।
आज बच्चों को भेजा मैसेज
आयुर्वेद के नुस्खे करोना बचाव
के वि एस लेटर पहुँचाया
सभी अविभावकों के पास
बच्चों का व स्वयं का हो बचाव ।
बाकी किसी काम को न मिला समय
लेखन कार्य न लिखा कोई कोटस
साढ़े ग्यारह से हुआ काम शुरू
पर ज्यादा कुछ नहीं
बस एक- एक कोट्स लिखा ।
उसके बाद याद आई डायरी
सो लिखना शुरू किया
उससे पहले एक मैसेज मिला
चाँद को देखो और बताओ कैसा है?
जल्दी से बाल्कनी में से देखा ।
सच में चाँद के मिजाज
कुछ अलग नजर आ रहेृ
मुझे तो कुछ उल्टे नजर आ रहे ।
सर को यह सब बताया
फोटो खींच जल चढ़ाया।
किसी ने सच कहा है
मुसीबत आने पर
प्रभु याद आते हैं
कल नौ दीपक
आज चंद्रमा को जल चढ़ाए।
पाँच तारीख को दीपक जलाऊँगी
करोना को हराने सब कर जाऊँगी
मोदी जी की हर बात लगती है सत्य
आँख मूँद सब करने को तत्पर
करोना हारे दीपक जलाएँगे बढ़कर।
करोना की जंग नहीं है आसान
रोज की खबरें करती परेशान
कहीं भी बढ़े करोना के मरीज
दिल पर अपने पड़ती चीर
बेबस से हम होते अधीर।
अब तो प्रभु से लगी है आस
मौसम का मिजाज गर्म हो
कुछ हमारे कर्म संयमित हो
अपनों के लिए अपने को
घर में रह लड़े करोना जंग ।