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Usha R लेखन्या

Tragedy

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Usha R लेखन्या

Tragedy

दौड़

दौड़

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आज और कल की इस दौड़ में

न सोता न जागता इंसान

सोता तो सैकड़ों ताना बाना लिए

और जागता तो करोड़ों आशाएँ लिए

आज और कल की इस दौड़ में

न सोता न जागता इंसान।


ज़िंदगी की भागदौड़ में

हज़ारों सपने लिए

चमचमाती असंख्य आँखें

टिमटिमाते सपने लिए

आज और कल की इस दौड़ में

न सोता न जागता इंसान।


होगी सत्यता साकारता

इस सोच को करे जीवंत

आकांक्षाएँ और तृष्णाओं को साथ लिए

आज और कल की इस दौड़ में

न सोता न जागता इंसान।


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