Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Usha R लेखन्या

Others

4  

Usha R लेखन्या

Others

सफ़ेद चादर

सफ़ेद चादर

1 min
216


सफ़ेद चादर सी वह उजली रात

जिसमें चाँदनी ने दिया हो तन्हाई का आगाज़

जिसे देख मन में आ जाए कोई बात

वह ख़ामोशी जिसमें सुनाई दे हर एक आवाज़

कभी झिंगुर की, तो कभी पंखे की चाल

कभी बाहर से जाती हुई किसी गाड़ी की आवाज़

सफ़ेद चादर सी वह उजली रात!

जिसमें चाँदनी ने दिया हो तन्हाई का आगाज़

उजाला चाँद और चाँदनी सब हो एक साथ

तो क्यों न मन करे लिखने को कोई बात

जिसमें रंग हो नूर हो और हो फूलों की बारात

जिसे पढ़, मन कहे वाह! यह सफ़ेद चादर सी उजली रात

जिसमें चाँदनी ने दिया हो तन्हाई का आगाज़

जिसके होने से लगने लगे कुछ ख़ास-ख़ास

जिसके न होने से मन होने लगे उदास-उदास

सफ़ेद चादर सी वह उजली रात

जिसमें चाँदनी ने दिया हो तन्हाई का आगाज़!



Rate this content
Log in