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Usha R लेखन्या

Inspirational

4  

Usha R लेखन्या

Inspirational

हार-जीत

हार-जीत

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मिलना-जुलना, हँसना, बोलना, यही है जीवन की रीत

न जाने क्यों कुछ लोग फिर भी इसे बना लेते हैं हार-जीत

मिलते रहने से मेल रहता है, न जुड़ने से ख़त्म खेल रहता है

खेलो-कूदो रंगों के संग, न हो होली, दीवाली या ईद तो भी रहो अपनों के संग

मिलना-जुलना, हँसना, बोलना, यही है जीवन की रीत

न जाने क्यों कुछ लोग फिर भी इसे बना लेते हैं हार-जीत

एक कमी से सब होना ख़त्म नहीं होता, सब में से एक का जाना ग़म नहीं रहता

भूल जाता है इंसा उसको भी, जो कभी सर्व था वह राजा नही रहता

जो रंक था, वह सदा कर प्रसरित नहीं रहता।

मिलना-जुलना, हँसना, बोलना, यही है जीवन की रीत

न जाने क्यों कुछ लोग फिर भी इसे बना लेते हैं हार-जीत।


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