Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Usha R लेखन्या

Others

3  

Usha R लेखन्या

Others

बीस तारीख़

बीस तारीख़

1 min
217


आज फिर बीस तारीख़ है 

मन बेचैन है एक जगह सूनी है

आँखों में वो चेहरा, कानों में वो गूँज सुनी है

दिल में एक कसक, होंठों पे एक नाम

दिमाग़ में वही बात, आज फिर बीस तारीख़ है

इनसान नहीं कुछ लाता अपने साथ

फिर दे जाता है क्यों इतनी याद

जब जी चाहे आ जाए कहीं से भी

रात हो, दिन हो, या हो सुबह शाम

ख़्याल में वही बात, आज फिर बीस तारीख़ है


जो आया है उसने जाना है यही बस एक फ़साना है

फिर भी इनसान क्यों कर रहा अपनी चीज़ों से इतना प्यार है

सवाल में भी वही बात, क्यों आज बीस तारीख़ है?

क्यों आज बीस तारीख़ है? जिसमें गईं थीं वो छोड़कर

जाना तो वास्तविकता है जाकर लौट न आना सबने जाना है

दिमाग़ में वही बात, क्यों आज वही बीस तारीख़ है? 

क्यों आज वही बीस तारीख़ है? 


Rate this content
Log in