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RockShayar Irfan

Romance

2.5  

RockShayar Irfan

Romance

दावत-ए-मोहब्बत

दावत-ए-मोहब्बत

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तेरे शहर की नून चाय सा

दिखता है मेरा शहर

सुन तेरे गुलाबी गालों सा

लगता है मेरा शहर।


मिलने आओ न कभी तुम

पहाड़ों से मैदान में

वादियों के जहान से

मेरे दिल के रेगिस्तान में।


दिल ने बनाया जिसे

मोहब्बत के उस मक़ान में

शिद्दत से सजाया जिसे

उस दावत-ए-वाज़वान में।


शुरूआत में तुमको

लज़ीज़ तबाक माज परोसूंगा

साथ में जिसके बीते

लम्हों की बाकरखानी होगी।


और फिर मैं तुमको इश्क़ का

वो क़हवा पेश करूँगा

तन्हाई में जिसे मैंने

चाँद के नूर से तैयार किया था।


हालांकि यादों का यख़नी पुलाव भी

बनकर कब से तैयार है

मगर ग़मों की गुश्ताबा करी

एक अर्से से ज़ेहन पर सवार है।


यक़ीनन कुछ जज़्बात अब भी

सहमे हुए और ख़ामोेश हैं

पर कोई बात नहीं अभी

हमारे पास रूहानी रोग़न जोश है।


तो बताओ फिर

कब आ रही हो मेरे शहर

अब तो मेरी नून चाय

भी खत्म हो गई है।


अब तो इस इंतज़ार को

और इंतज़ार न बनाओ

अब तो बस आ ही जाओ

सुनो तुम आ ही जाओ।


वरना मैं तो फिर आ ही रहा हूँ

इस बार तेरे उन पहाड़ों पे यार

देख ही लूँगा इस बार आख़िर

ऐसा क्या है उन पहाड़ों के पार।



नून चाय – कश्मीरी चाय जो गुलाबी रंग की होती है

वाज़वान – कश्मीरी व्यंजनों में एक बहु-पाठ्यक्रम भोजन है

लज़ीज़ – स्वादिष्ट

तबाक माज – तले हुए मटन चॉप्स

बाकरखानी – एक मोटी मसालेदार रोटी

क़हवा – कश्मीरी कॉफ़ी

यख़नी – कश्मीरी पुलाव का एक अन्य रूप

गुश्ताबा करी – पारंपरिक कश्मीरी करी

रोग़न जोश – कश्मीरी मटन डिश


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