" दानव "
" दानव "
दानव सचमुच में दैत्य होते हैं,
जिनका स्वभाव हिंसक प्रवृत्ति वाला होता है ,
वे हर किसी का बुरा चाहते हैं,
उनकी मानसिकता बदतर होती है ।
बुराई ही बुराई उनके मन में भरी रहती है,
वे अत्याचार ही करना चाहते हैं।
वे इन्सान, पशु , पक्षी किसी को नहीं छोड़ते,
उनकी जिंदगी बुराईयों के बीच गुजरती रहती है।
दानव तो शक्ल सूरत से दानव दिखते हैं,
कद - काठी अच्छे - खासे बलवान होते हैं।
रामायण का माया दानव बहुत प्रसिद्ध है,
महाभारत का मय दानव बहुत प्रसिद्ध है ।
पर क्या हमें पता है कि इन्सान के शक्ल में दानव समाज में रहते हैं,
जो गरीब, लाचार , दुखी तथा लड़कियों पर ज़ुल्म ढाते हैं।
उन सबकी जिंदगी नरक बना देते हैं,
उन्हें किसी से भी डर , शर्म नहीं आती ,
और वे असंस्कारी होते हैं,
दरिंदे की भांति अपने कार्य को अंजाम देते हैं।
हमें समाज से इन्सानी दानव को निकाल फेंकना चाहिए,
ताकि सारे लोग चैन की जिंदगी जी सकें ।