STORYMIRROR

Kunda Shamkuwar

Abstract

3  

Kunda Shamkuwar

Abstract

चुप्पी

चुप्पी

1 min
16

उसकी चुप्पी मुझे परेशान करती है 

बिना कुछ कहे मुझसे सवाल करती है

अनदेखा करके आगे बढ़ता जाता हूँ

उन तीखे सवालों से बचना चाहता हूँ

उस चुप्पी से और खौफ लगने लगा है 

भागता हूँ उन नजरों के सवालों से 

जो नजरें मेरे वजूद के आरपार होती है 

पाता हूँ जकड़ा हुआ खुद को बेड़ियों में 

जानकर भी उसकी बेगुनाही को 

मैं अनदेखा करता जाता हूँ 

क्योंकि सियासत का तकाज़ा यही है

जहाँ बेगुनाहों को कुर्बान किया जाता है 

मेरी बेरुखी से हैरान होती है वह चुप्पी

वह मेरी बेहूदगी का सामना करती है 

वह चुप्पी तीखे सवाल करती जाती है

वह चुप्पी मुझे परेशान करती रहती है!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract