चुप
चुप
बातें प्यारी करनी है उसको पर चुप रहता है
सुनने का शौक है उसको तो चुप रहता है।
गिले है मुझको कई शिकवे उसको भी है
तालीम भी याद है उसको तो चुप रहता है।
जंग-ऐ-आबरू तुम्हारी वो जानता खेल ही है
हारने के डर है उसको सो चुप रहता है।
साहब बड़े हैं बहुत खुदा होने का शौक भी है
दंगो का इल्म है उसको तो चुप रहता है।
तारीख-ऐ-हुकूमत में ख़ामोशी जरूरी भी है
जीने की उम्मीद है उसको सो चुप रहता है।
