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Hem Raj

Crime

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Hem Raj

Crime

चुनावी कुरुक्षेत्र

चुनावी कुरुक्षेत्र

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यह तो है भाई कुर्सी का खेल।

आम जनता तो गई लाने तेल।


 सत्ता आए एक दफा मेरे ही हाथ।

 कौन सुनेगा फिर किसकी बात ?


यह पार्टी वार्टी का खेल तो पुराना है।

हम लड़ते रहे इनका इक्कठे खाना है।


 वोट किसी को भी दो तुमने जो ठाना है।

 आखिर सत्ता में तो इन्हीं में कोई आना है।


जागो जनता जनहित में संघर्ष करो।

लोकतन्त्र में फिर से नव उत्कर्ष भरो।


हर कानून ग्रामसभा में तुम तय करो।

संसद की मनमानी का विलय करो।


 यही सपना था आजादी के परवानों का।

क्यों कुचला गया फन उनके अरमानों का?


दल सब रह लिए हैं सत्ता में बारी - बारी।

हर राज में जनता के हाथ लगी है लाचारी।


आज न जागे तो बहुत ही पछताना होगा।

जागो खुद और औरों को भी जगाना होगा।


हर दल का घोषणा पत्र कानूनी दस्तावेज हो।

जो पूरे न करे वादों को उसे घर को भेज दो।


निरस्त हो उस दल की मान्यता जो झूठ फैलाएगा।

देखना सियासत में फैला कचड़ा पलभर में छट जाएगा।


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