चुभती तेरी बातें भी हैं ✍️
चुभती तेरी बातें भी हैं ✍️
चुभती तेरी बातें भी है, शमशीर की तरह
मैं कुछ कह नहीं पाती, ख़ामोश तस्वीर की तरह।
मुहब्बत भी बेपनाह है,रांझे और हीर की तरह
मगर क़िस्मत बदल नहीं पाई, हाथों की लकीर की तरह।
दुनिया से लड़ जाऊं अकेली, तीर की तरह
करूं इबादत तेरी, किसी पीर की तरह।
किसी रोज मिलेंगे, भटकी तक़दीर की तरह
जकड़ लेना मुझे, ज़ंजीर की तरह।
अगर इश्क़ सच्चा और मुहब्बत रूहानी है,
तो मांगना खुदा से मुझे, किसी फ़कीर की तरह।
माना चुभती तेरी बातें हैं, शमशीर की तरह
तू जरूरी है कुछ यूं,जैसे प्यासे को नीर की तरह।