Anita Lodhi
Comedy Children
बैठ नाक पर चश्मा भाई,
बाहें डाले कान पर ।
नहीं आँच आने देते हैं,
आँखों के सम्मान पर।
यह दादू का चश्मा है।
इसमें छुपा करिश्मा है।
इसे लगा लो तो मेंढक,
दिखता हाथी जितना है।
आत्मबल
जिंदगी
मैं खुद में प...
आजादी
दोस्त
दीवारों पर
अर्थ जब खोने ...
बेटियाँ
प्रकृति
पानी और धूप
खींची है तेरी चोटी, आज भी कह कर चिढ़ता हूँ मैं तुझको मोटी खींची है तेरी चोटी, आज भी कह कर चिढ़ता हूँ मैं तुझको मोटी
महंगा खाना खाते थे, और महंगी गाड़ी में जाते थे, हम तो अपने घर में भी, इज्जत कुत्ते सी महंगा खाना खाते थे, और महंगी गाड़ी में जाते थे, हम तो अपने घर में भी, इज्जत क...
और एक दिन नौकरी की परीक्षा देने गये। रिजल्ट ऐसा आया साहब की पूछो मत। । और एक दिन नौकरी की परीक्षा देने गये। रिजल्ट ऐसा आया साहब की पूछो मत। ।
आजकल हमारी बाई बाइक पर आती है, वो खाना बना कर चली जाती, मैं बरतन पोंछा करती हूँ। आजकल हमारी बाई बाइक पर आती है, वो खाना बना कर चली जाती, मैं बरतन पोंछा करत...
आपणे दसानन् में दीखे, जीने एक देवदास, आपणे दसानन् में दीखे, जीने एक देवदास,
खरीददार को कोई जबरदस्ती नहीं मुनाफाखोरी कोई पाप नहीं है खरीददार को कोई जबरदस्ती नहीं मुनाफाखोरी कोई पाप नहीं है
तुम कहो तो चाँद के चक्कर हम लगा लें साथ में दो चार तारे तोड़ लाए। तुम कहो तो चाँद के चक्कर हम लगा लें साथ में दो चार तारे तोड़ लाए।
नजर बंद कर करें कीर्तन गावें बिफर बिफर के भक्तों पर जो नजर उठावें वे मारे धर-धर के नजर बंद कर करें कीर्तन गावें बिफर बिफर के भक्तों पर जो नजर उठावें वे मारे धर...
कर करार की लौट आऊँगी दोस्त अब ना कहीं खो जाऊंगी। कर करार की लौट आऊँगी दोस्त अब ना कहीं खो जाऊंगी।
इश्क़ ए चाॅकलेट का मजा है, मिठास वाला ही ये प्यार है इश्क़ ए चाॅकलेट का मजा है, मिठास वाला ही ये प्यार है
कैसे चलाएं घर को ऑनलाइन टिप्स बता रही हैं कैसे चलाएं घर को ऑनलाइन टिप्स बता रही हैं
जानते हो हम क्यों भागते थे, क्योंकि हम घरों की घंटी बजाते थे, जानते हो हम क्यों भागते थे, क्योंकि हम घरों की घंटी बजाते थे,
अदृश्य दरवाज़ों,खिड़कियों से दाख़िल हो जाता घरों में एक डर , रूप बदल बदल कर। अदृश्य दरवाज़ों,खिड़कियों से दाख़िल हो जाता घरों में एक डर , रूप बदल बदल कर।
क्या ज़ोरदार पटाखा, पाये हो। कहाँ से ढूँढ लाये हो क्या ज़ोरदार पटाखा, पाये हो। कहाँ से ढूँढ लाये हो
बकरी जाने घास पात ना जाने जाति विशेष। बकरी जाने घास पात ना जाने जाति विशेष।
देख दूर से नवयौवन ये सेंक रहे अपने नयन, देख दूर से नवयौवन ये सेंक रहे अपने नयन,
पढ़ने वाला मानता रहे इसे साहित्य भरपूर होता भले इसमें असत्य पढ़ने वाला मानता रहे इसे साहित्य भरपूर होता भले इसमें असत्य
तुम तो रहने दो तुम्हें तो कुछ कहना ही बेकार है, जैसा तुम कहो ! तुम तो रहने दो तुम्हें तो कुछ कहना ही बेकार है, जैसा तुम कहो !
पंडित बनाये अनुपम मेल आओ चलो हम खेलें खेल पंडित बनाये अनुपम मेल आओ चलो हम खेलें खेल
घर घर से सोशल मिडिया पर, बिन पैसो के, खुद ही कूद रहा है। घर घर से सोशल मिडिया पर, बिन पैसो के, खुद ही कूद रहा है।