बेटियाँ
बेटियाँ
चिडियों के झुुंड़ सी चहचहाती है बेेटियाँ।
पगडंडियों पर नीले पीले आंचल उड़ाती है बेेटियाँँ।।
आँँगन की तुुुलसी बन घर को महकाती हैैं बेेेेेटियाँँ।
हँँसी - ठिठोली कर सबका मन बहलाती हैं बेटियाँ।।
पायल की रुनझुन सी गुनगुनाती है बेेटियाँँ।
पानी सी निर्मल स्वच्छ नजर आती है बेेटियाँँ।।
क्यों देखते हैं दोयम निगाहों से इन्हें जमानेे वालेे
किसी भी मकान को घर बनाती है बेेटियाँँ।।
