मैं खुद में पूरी...
मैं खुद में पूरी...
जननी हूँ जीवन भी मैं,
जज्बातों पे मेरा जोर नहीं।
सशक्त हूँ व साकार भी हूँ मैं
नारी हूँ, कमजोर नहीं ।
दर्पण हूँ व अक्स भी मैं,
झुका सके मुझे वो शख्स नहीं।
स्वाभिमानी हूँ व आत्मनिर्भर भी मैं,
टूट के बिखरूँ अब वो वक्त नहीं।
नहीं समझना आधी अधूरी,
नहीं अधूरी मैं खुद में पूरी।
साथ चलना हो तो हाथ बढ़ाना,
पीछे हटना मुझे मंजूर नहीं।
