आजादी
आजादी
पंछी है कैैद अगर,
तो उड़ने में कर मदद तू।
रात है काली अगर,
दीया जला कर रौशन कर तू।
बीत गए कई साल रूढीवादी विचारों में उलझकर,
सुुुलझा मन के भाव तू ।
औरत, आदमी या हो कोई बच्चा,
सबके जीवन का कर सम्मान तू।
तोड़़ दे दीवारें सारी,
आगे बढ़़ विजय राह पर।
उन वीरों ने क्या पाया,
अगर तू अब भी ड़र में खोया।
उठ जा तू , छू ले आसमान,
आजादी पे है सबका हक।
