प्रकृति
प्रकृति
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हरे हरे खेतों में
बरस रहे है बूँदें
खुशी खुशी से आया सावन
भर गया मेरा आँगन।
ऐसा लग रहा है जैसे
मन की कलियाँ खिल गई
ऐसा आया बसंत
ले के फूलों का जश्न।
धूप से प्यासे मेरे तन को
बूँदों ने दी ऐसी अंगड़ाई
कूद पड़ा मेरा तन मन
लगता है मैं हूँ एक दामन।
यह संसार है कितना सुंदर
लेकिन लोग नहीं उतने अक्लमंद
यही एक निवेदन
न करो प्रकृति का शोषण।
