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Akanksha Gupta

Romance

3  

Akanksha Gupta

Romance

चंद्र और चंद्रिका

चंद्र और चंद्रिका

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उस अकेली रात में

चमक रहा था चंद्र

छिटक रही थी चंद्रिका

वायु चले मंद मंद


एक रेतीले टीले पर

बैठे थे दो पंछी

कर रहे थे गुफ्तगू

अपने अपने दिल की


पहुंच रही थीं मोहब्बत

अपनी मंजिल की दहलीज पर

हो रहा था नवसृजन सपनों का

नयनों के कपाट पर


उस अकेली रात में

चमक रहा था चंद्र

छिटक रही थी चंद्रिका

वायु चले मंद मंद!



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