चंदन सी जब याद तुम्हारी
चंदन सी जब याद तुम्हारी
नजरों में मधुमास तुम्हारी क्यों न लहकते गीत मेरे !
पंछी बन ये मन उड़ता जब क्यों न चहकते गीत मेरे !
प्रतिदिन छत पर साँझ उतरकर
रूप सँवारा करती है !
और नहाती जा सागर में
बदन उघारा करती है !
बाल खोल फिर मुस्काती जब क्यों न बहकते गीत मेरे !
पंछी बन ये मन उड़ता जब क्यों न चहकते गीत मेरे !
दिखता है अब मुझे चाँद पर
सदा तुम्हारा ही साया !
तप्त तुम्हारी साँसों ने ही
सूरज को है दहकाया !
छुआ अधर से जब तुमने तो क्यों न दहकते गीत मेरे !
पंछी बन ये मन उड़ता जब क्यों न चहकते गीत मेरे !
शब्द शब्द न्यौछावर तुम पर
यही सर्जना जीवन है !
शिल्प गढ़ा है प्रिये तुम्ही ने
भाव तुम्हारा यौवन है !
चंदन-सी जब याद तुम्हारी क्यों न महकते गीत मेरे !
पंछी बन ये मन उड़ता जब क्यों न चहकते गीत मेरे !

