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Dheeraj Srivastava

Romance Classics

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Dheeraj Srivastava

Romance Classics

चंदन सी जब याद तुम्हारी

चंदन सी जब याद तुम्हारी

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नजरों में मधुमास तुम्हारी क्यों न लहकते गीत मेरे !

पंछी बन ये मन उड़ता जब क्यों न चहकते गीत मेरे !


प्रतिदिन छत पर साँझ उतरकर

रूप सँवारा करती है !

और नहाती जा सागर में

बदन उघारा करती है !


बाल खोल फिर मुस्काती जब क्यों न बहकते गीत मेरे !

पंछी बन ये मन उड़ता जब क्यों न चहकते गीत मेरे !


दिखता है अब मुझे चाँद पर

सदा तुम्हारा ही साया !

तप्त तुम्हारी साँसों ने ही

सूरज को है दहकाया !


छुआ अधर से जब तुमने तो क्यों न दहकते गीत मेरे !

पंछी बन ये मन उड़ता जब क्यों न चहकते गीत मेरे !


शब्द शब्द न्यौछावर तुम पर

यही सर्जना जीवन है !

शिल्प गढ़ा है प्रिये तुम्ही ने

भाव तुम्हारा यौवन है !


चंदन-सी जब याद तुम्हारी क्यों न महकते गीत मेरे !

पंछी बन ये मन उड़ता जब क्यों न चहकते गीत मेरे !


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