चंदा और चांदनी में झगड़ा अनबन
चंदा और चांदनी में झगड़ा अनबन
चंदा और चांदनी की अनबनी" का मतलब होता है दोनों के बीच झगड़ा या मतभेद।
यह अक्सर किसी न किसी मामले में कारणदोनों के बीच विचारधारा,
सोच, या अन्य किसी कारण से होता है, हो गया।
कविता
देखो देखो यह क्या हो गया चंदा और चांदनी के बीच अनबनी हो गई।
चंदा ने कहा चांदनी तू मेरे बिना कुछ नहीं मेरी किरणों से ही तू रोशन होती है
कुछ चांदनी ने कहा कुछ चांद ने कहा दोनों में अनबन चालू हो गई।
चांद ने सोचा चांदनी उसको मनाने आएगी,
चांदनी ने सोचा मैं क्यों मनाऊं मैं तो इसकी किरणों को लेकर जग में रोशनी करती हूं।
दोनों का अहम इतना बढ़ गया झगड़ा लंबा चल गया देखते-देखते 15 दिन हो गए।
आखिर में चांद अपने आप को बड़ा साबित करने बदली के अंदर छुप गया।
और चारों तरफ घुप अंधेरा हो गया।
ना तारे रोशन हुए न चांदनी आई सब तरफ अंधेरा ही
अंधेरा हो गया और अमावस की रात आ गई।
बादलों में छिपे हुए चांद को भी थोड़ी अक्ल आई, थोड़ा अहम उसने छोड़ा।
थोड़ा चांदनी ने छोड़ा।
धीरे-धीरे करके 15 दिन में दोनों में सुलह हो गई,
और पूनम की रात आ गई ।
दोनों हंसी खुशी एक दूसरे के साथ दोस्ती कर गए।
और पूरे आकाश को रोशन कर गए।
मगर मतभेद फिर भी चालू था।
इसीलिए कभी कभी दोस्ती में मतभेद चलता ही रहता है।
15 दिन के अंदर चांद निकलता ही रहता है ।
15 दिन बाद वापस डूब के अंधेरा करता ही रहता है
और चांदनी को समेट के अंदर बादलों में गुम हो जाता है।
ता उम्र उनकी दोस्ती और यह अनबन चलती ही रहेगी और अंधेरे उजाले का खेल चलता ही रहेगा।
अहम् भले इंसानों का हो भले देवताओं का अहम् किसी को नहीं छोड़ता है।
जो अहम् छोड़कर के काम करेंगे तो वह काम जरुर सफल होगा ।
नहीं तो अहम् के झगड़े में ही फंस कर रह जाएंगे।
हमने कितने ही घर अहम् के चलते टूटे देखे हैं।
अहम् का अ हटाकर हम कर दे दिल से अगर हम हो जाएं तो जिंदगी सुधर जाती है।
नहीं तो इस अहम् के चलते जिंदगी बिगड़ जाती है ।
क्यों सच कह रही हूं ना दोस्तों आपका क्या हैकहना।
जरा समीक्षा करके आप मुझको बताना।
एक वैचारिक कविता