चल अधूरे सफर को पूरा करते हैं
चल अधूरे सफर को पूरा करते हैं
अधूरा रास्ता, अधूरी मंजिल,
चलते रहें हम, मिलती रहे मंजिल।
अनजाने सवालों का सफर है ये,
हर कदम पर नयी कहानी है ये।
तेरा यहां मन नहीं लगता तो चल साथी नई डगर ढूंढते हैं।
तू अकेला नहीं तेरे साथ तेरी साथी है।
धूप है छांव है रिश्तों की आड़ है।
चिंता ना कर जब तू और मैं साथ है तो कोई भी सफर अधूरा नहीं।
जिन रिश्तों के कारण तू जाना नहीं चाहता, उन्हें हम साथ लेकर चलते हैं।
ता उम्र उनकी सेवा का जिम्मा हम उठाते हैं।
उस जगह को छोड़कर नयी डगर पर हम आ गए हैं।
धूप में, छाँव में, रिश्तों को साथ लिए मन में उम्मीदें नये सफर पर हम चल दिए
और
नए-नए बंद अस्पताल चालू कर उनको सफल हमने बना दिये।
गांव गांव घूम के मरीजों को हम लाये, और ठीक कर उनको घर वापस पहुंचा आए।
अधूरा रास्ता, पर साथ हमारा, संग चलें हम, मिला नया सवेरा।
सेवा की अलख जगाकर अपने सफ़र को पूरा हमने किया।
सफर तो कभी पूरा होता ही नहीं।
अधूरा है, मगर मन में संतोष है कि हम जो चाहते थे वह हम कर रहे हैं।
आगे ईश्वर जितना करवाए उतना हम करेंगे, जिंदगी में अधूरे सफर को पूरा हम करेंगे।